छोटे-छोटे बच्चों की प्यारी मुस्कान के साथ मनाया गया उत्तराखंड का पर्व फुलदेई

Ad Ad Ad

हल्द्वानी : सर्दी और गर्मी के बीच का खूबसूरत मौसम, फ्यूंली, बुरांश और बासिंग के पीले, लाल, सफेद फूल और बच्चों के खिले हुए चेहरे… ‘फूलदेई’ के पर्व की विशेषता है। नए साल का, नई ऋतुओं का, नए फूलों के आने का संदेश लाने वाला ये पर्वप्रकृति को आभार प्रकट करने वाला लोकपर्व है ‘फूलदेई’…चैत्र माह की संक्रांति को, जब उत्तराखंड के पहाड़ बुरांश के लाल फूलों की चादर ओढ़ने लगते हैं, तब पूरे इलाके की खुशहाली के लिए फूलदेई का  पर्व मनाया जाता है

यह भी पढ़ें 👉  एसएसपी नैनीताल प्रहलाद मीणा की सख्ती, CSC सेंटर में अनियमितताओं पर कड़ी कार्यवाही, बनभूलपुरा में CHC सेंटर चैकिंग अभियान, 08 सेंटर करवाये बंद

यह लोकपर्व मुख्य रूप से किशोरियों और छोटे बच्चों से जुड़ा है। वक्त के साथ तरीके बदले, लेकिन हम सभी को प्रयास करना चाहिए कि अपनी संस्कृति को जिंदा रखें व बढ़ावा दें व लोगों को जागरूक करें।फूलदेई के दिन बच्चे सुबह-सुबह उठकर फ्यूंली, बुरांश, बासिंग और कचनार जैसे जंगली फूल इकट्ठा करते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  स्वच्छता कार्य कर सीएम धामी का मनाया गया जन्मदिन, हल्द्वानी महापौर ने नगर निगम अधिकारी व कर्मचारियों ने साथ मिलकर की शहर में सफाई

इन फूलों को थाली या टोकरी में सजाया जाता है। टोकरी में फूलों-पत्तों के साथ गुड़, चावल, पैसे और नारियल रखकर बच्चे अपने गांव और मुहल्ले की ओर निकल जाते हैं फूल और चावलों को गांव के घर की देहरी, यानी मुख्यद्वार पर डालकर लड़कियां उस घर की खुशहाली की कामना करती हैं। इस दौरान एक गाना भी गाया जाता है- फूलदेई, छम्मा देई….दैणी द्वार, भरे भकार…. यो देई पूजूं बारम्बार

यह भी पढ़ें 👉  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सत्संग संस्था के सदस्यों ने की भेंट,आपदा राहत हेतु सत्संग संस्था ने मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की ₹1 करोड़ की सहयोग राशि
Ad

सम्बंधित खबरें