शिवभक्तों को मकर संक्रांति (उत्तरायणी) पर मिलेगी बड़ी सौगात, जानी मानी ज्योतिषाचार्य ने बताई पर्व से जुड़ी हर बात

संजय पाठक, हल्द्वानी : मकर संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसी को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है। जानी मानी ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी के अनुसार, 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। 14 जनवरी को सूर्यदेव अर्धरात्रि 2:42 ( आंग्ल कैलेंडर के अनुसार 15 जनवरी 2024 प्रातः) पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे जिससे 15 जनवरी 2024 उदया तिथि में मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा।डॉ. मंजू जोशी बताती हैं कि मकर संक्रांति पर्व सोमवार को पढ़ने से मानसिक तनाव से जूझ रहे जातकों को शिव की विशेष पूजा अर्चना तथा जल अर्पित करने से लाभ प्राप्त होगा क्योंकि पवित्र माघ (मकरार्क) माह शिव जी का अत्यंत प्रिय माह है। मकर संक्रांति पर स्नान, दान का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी,तिल, गुड़, तेल, घी, उड़द, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करना अति शुभफल कारक होता है। धार्मिक मान्यतानुसार, मकर संक्रांति पर सूर्य देव स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है । धार्मिक मान्यतानुसार उत्तरायणी पर्व मनाने का विषेश कारण यह भी माना जाता है कि दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी बताती हैं कि संपूर्ण वर्ष में सूर्य देव छः माह दक्षिण एवं छः माह उत्तर में भ्रमण करते हैं जब सूर्य देव कर्क राशि से धनु राशि तक की राशियों में भ्रमण करते हैं उसे दक्षिणायन एवं मकर राशि में गोचर के साथ ही सूर्य देव का गमन उत्तर दिशा की ओर होने से उत्तरायण प्रारम्भ हो जाता है जिसका समय मकर राशि से मिथुन राशि में गोचर(भ्रमण) तक रहता है। मकर संक्रांति भारतवर्ष के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम एवं अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाने वाला पर्व है। जैसे तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी, गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेला व उत्तराखंड में मकर संक्रांति पर्व को घुघुतिया और उत्तरैणी के नाम से भी जाना जाता है।

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